हर रूप का आलिंगन करती और हर ताल के साथ नाचती खुद को हर पल परिभाषित करती हर क्षण हर रूप का आलिंगन करती और हर ताल के साथ नाचती खुद को हर पल परिभाषित करती ...
जैसे जैसे बड़े हुए हम ये भी चली हमारे संग जैसे जैसे बड़े हुए हम ये भी चली हमारे संग
अधिकार है लोगों को मूल्यांकन का मेरे लिए ये मूल्यांकन से परे विषय था ! अधिकार है लोगों को मूल्यांकन का मेरे लिए ये मूल्यांकन से परे विषय था !
नमस्कार, मित्रोंपेश है मेरी ग़ज़ल कृपया सुझावों से अवगत करायें! नमस्कार, मित्रोंपेश है मेरी ग़ज़ल कृपया सुझावों से अवगत करायें!
हसीन वादियों और पहाड़ों की हवा मुझे सुकून देती है, बेशक हर बार ये मेरी जेब बहुत ढीली करती है, हर ब... हसीन वादियों और पहाड़ों की हवा मुझे सुकून देती है, बेशक हर बार ये मेरी जेब बहुत...